• पुस्तकों के अस्तित्व पर केंद्रित प्रमोद रंजन की यह टिप्प्णी पटना से प्रकाशित दैनिक प्रभात खबर में 12 दिसंबर, 2006 को प्रकाशित हुई थी। टिप्पणी से पता लगता है कि उस समय पटना में पुस्तक मेल लगा हुआ था और उसके उपलक्ष्य में प्रभात खबर विशेष पृष्ठ प्रकाशित कर रहा था, जिसमें यह टिप्प्णी प्रकाशित हुई थी।

    इस टिप्पणी में कहा गया है किएक माध्यम के रुप में किताबों के समाप्त होने से चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन विचारों को बचाने की आवश्यकता है, जिन्हें हम इन किताबों के माध्यम से पाना और दूसरों तक पहुंचाना चाहते हैं।