• हिंदी कथाकार राजकुमार राकेश और प्रमोद रंजन की यह लंबी बातचीत शिमला में जनवरी, 2003 में हुई थी, जिसे वर्ष 2007 में पटना के मंडल विचार प्रकाशन ने एक पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया था। इस बातचीत में जादूई यथार्थवाद, मार्क्सवाद, दलित विमर्श तथा लेखक और सत्ता के बीच संबंध जैसे मुद्दे प्रमुखता से आए हैं।

    पटना से जाबिर हुसेन के संपादन में प्रकाशित पत्रिका दोआबा के जून, 2007 अंक में भी यह बातचीत प्रकाशित हुई थी, जिसे यहां देखा जा सकता है:https://doi.org/10.17613/1jp9-3580