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Pramod Ranjan deposited बिहार की पत्रकारिता में जाति की सडांध पर सर्वे in the group
Sociology on Humanities Commons 1 month, 3 weeks ago
प्रमोद रंजन और उनकी टीम द्वारा वर्ष 2009 में किए गए सर्वेक्षण में पाया गया था कि बिहार की पत्रकारिता में फैसला लेने वालों पदों पर एक भी दलित, पिछड़ा, आदिवासी नहीं है। फैसला लेने वाले पदों पर स्त्रियों की भागीदारी भी शून्य है। इस सर्वेक्षण में प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक दोनों माध्यमों को लिया गया था तथा इसमें हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू के मीडिया संस्थान शामिल थे।
यह सर्वेक्षण ‘मीडिया में हिस्सेदारी’ शीर्षक पुस्तिका में कुछ अन्य संबंधित लेखों के साथ प्रकाशित हुआ था। यहां अपलोड किए लेख में उपरोक्त सर्वेक्षण का सारांश है।