• प्रमोद रंजन इस लेख के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता राणा बैनर्जी के बहुमुखी प्रतिभा को सामने लाते हैं। पटना के संस्कृतिकर्मी राणा बैनर्जी ने वर्ष 2008 में गंगा में कूदकर आत्महत्या कर लिया था। जब कवि और लेखक आत्महत्या करने लगे तो यह समझ लेना चाहिए कि देश पर, समाज पर गहरा संकट आनेवाला है। आत्महत्या स्वजनित नहीं होती अपितु परिस्थितिजन्य होती है। रंजन यह बताते है कि बेईमान आदमी कभी आत्महत्या नहीं कर सकता।