• Pramod Ranjan deposited भाजपा का बजट और बहुजन व्यवसाय in the group Group logo of SociologySociology on Humanities Commons 1 month, 4 weeks ago

    भारत सरकार के 2014 के बजट के बाद अनेक प्रकार की प्रतिक्रियाएं उत्पन्न आईं थीं, लेकिन कम लोग जानते हैं कि दलित उद्योगपतियों ने इस बजट का स्वागत किया था।

    बजट पर प्रतिक्रिया देने वाले अधिकांश बुद्धिजीवियों का कहना था कि भाजपा सरकार ने पिछली यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियों का ही अनुसरण किया है।

    लेकिन हम जानते हैं कि इन प्रतिक्रियाओं को व्यक्त करने वाले लोग किन हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यदि नई सरकार पूर्व सरकार के उन निर्णयों को आगे बढ़ा रही है जो जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा रखने वाले वंचित वर्गों के सदस्यों की आर्थिक मदद करने के लिए बनाए गए थे, तो इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए एक स्वागत योग्य संकेत ही माना जाना चाहिए।

    दरअसल, जून 2013 में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (डीआईसीसीआई) के अनुरोध को स्वीकार कर और दलित वेंचर कैपिटल फंड बनाया था। भारत में सामाजिक उत्तरदायित्व को कॉर्पोरेट क्षेत्र में उचित स्थान देने का यह पहला प्रयास था। उस समय भी कई द्विज लेखकों ने इसे ‘जातिवादी फंड’ करार दिया था। 2014 के बजट में भाजपा सरकार ने और उसे ही और आगे बढ़ाया है।

    2014 के बजट से उन दलितों और ओबीसी को फायदा होगा जो उद्यमिता को अपनाकर अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का लाभ उठाना चाहते हैं। लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि ये प्रावधान पारंपरिक भारतीय पूंजीपतियों के निपटान में बड़े पैमाने पर आर्थिक संसाधनों की तुलना में कुछ भी नहीं हैं। उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की आशा करने से पहले हमें एक लंबा रास्ता तय करना है।