• 21 मई 2012 को हरियाणा के भगाना (भगाणा) गांव में दबंग जाति के लोगों से विवाद के बाद दलित-पिछड़े परिवारों के 52 से ज्यादा परिवारों को अपना गांव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। विवाद की शुरूआत शामलात जमीन पर कब्जा हटवाने को लेकर हुई थी। दबंग समुदाय ने उनका हुक्का पानी बंद कर दिया था। इस घटना के 2 साल बाद 23 मार्च 2014 को भगाना गांव की धानुक समुदाय की 4 लड़कियों का दबंग समुदाय के लडकों ने अपहरण कर उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया था।

    इन घटनाओं के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर महीनों तक भगाणा गांव के दलित-पिछड़े समुदाय के लोगों ने महीनों तक निरंतर प्रदर्शन किया, जिसमें जेएनयू के विद्यार्थियों व विभिन्न सामाजिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही।

    उसी दौरान यह किताब आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने और संबंधित सामग्री का दस्तावेजीकरण करने के लिए तैयार की गई थी। किताब में भगाणा कांड पर विभिन्न समाचार-पत्रों, वेबपोर्टलों, पत्रिकाओं व फेसबुक पर प्रकाशित सामग्री को संकलित किया गया है। किताब के तीनों संपादक (एचएल दुसाध, प्रमोद रंजन और जितेंद्र यादव) इस आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े थे।