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Pramod Ranjan deposited उपेंद्र कश्यप की पुस्तक ‘आंचलिक पत्रकारिता के तीन दशक’ की प्रस्तावना in the group
Communication Studies on Humanities Commons 8 months, 2 weeks ago
यह बिहार के पत्रकार उपेंद्र कश्यप की किताब “आंचलिक पत्रकारिता के तीन दशक” की प्रस्तावना है।
उपेंद्र कश्यप की किताब हिंदी प्रिंट मीडिया के उस विशाल तहखाने की सच्चाइयों को उजागर करती है, जिसे क्षेत्रीय पत्रकारिता के नाम से जाना जाता है। वे उन कारणों के विस्तार में उतरते हैं, जिसके कारण समाज का प्रबुद्ध वर्ग इस पेशे को बिकाऊ, दलाल आदि कहता है। वे पत्रकारिता में क्षेत्रीय स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के ऐसे अंदरूनी रूपों को भी उजागर करते हैं, जो संभवत: पहली बार इस किताब के माध्यम से मीडिया-अध्ययन के क्षेत्र का हिस्सा बने हैं। लेकिन साथ ही एक कौंध की तरह यह भी ध्यान दिलाते हैं कि इस सबके बावजूद इस पेशे में कुछ ऐसी अनूठी बात है, जो इसे नैतिक-पतन के उस कगार तक पहुंचने से रोकती है, जहां अनेक अन्य पेशे में लगे सफेदपोश मौजूद हैं।
इससे संबंधित कुछ रोचक प्रसंगों का वर्णन भी उन्होंने किया है, जिसके निष्कर्ष विचारोत्तेजक हैं।