• Pramod Ranjan deposited बाढ़: अनकही कहानी in the group Group logo of SociologySociology on Humanities Commons 4 months, 3 weeks ago

    इस पुस्तिका में बिहार की कोसी नदी में वर्ष 2008 में आई प्रलयंकारी बाढ़ का आंखों देखा वर्णन है। बाढ़ में हजारों लोग मारे गए थे, लेकिन बिहार में सत्ता पर काबिज पार्टी ने इस त्रासदी काे एक जाति विशेष को सबक सिखाने के अवसर के रूप में लिया था। इसका तथ्यात्मक ब्यौरा इसमें है। साथ ही इसमें बेघर हुए लोगों की मर्मांतक पीड़ा का भी चित्रण है।

    पुस्तिका अपने राजनीतिक तेवर के कारण बहुचर्चित रही थी। इसकी दो लाख से अधिक प्रतियां विभिन्न लोगों और संस्थाओं ने, जिनमें तत्कालीन विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल भी शामिल था, ने वितरित करवाईं थीं।

    पुस्तिका के अधिकांश लेखकों के नाम क्षद्म थे, और प्रकाशक का भी कोई अता-पता नहीं था। इस पुस्तिका के कारण मची राजनीतिक खलबली के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसके लेखकों और प्रकाशक का पता लगाने का निर्देश खुफिया विभाग को दिया था।

    पत्रिकाओं में इससे संबंधित खबरें, इसकी समीक्षा और अखबारों में इसके लेखकों की खोज केंद्रित कार्टून प्रकाशित हुए थे।

    इस पुस्तिका का संपादन युवा पत्रकार प्रमोद रंजन ने किया था। पुस्तिका में सम्मिलित संस्मरण-रिर्पोताज (एक संवाददाता की डायरी) भी उन्होंने ही लिखा था। बिहार की राजनीति में सक्रिय दो प्रमुख साहित्यकारों ने इसके प्रकाशन में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

    यह पुस्तिका 2008 में आई बाढ़ की विभिषिका का एक प्रमाणिक दस्तावेज तो है ही साथ ही बिहार की तत्कालीन सामाजिक न्याय की राजनीति के अंतर्विरोधों को भी उजागर करती है।