• Pramod Ranjan deposited महिषासुर एक जननायक in the group Group logo of Cultural StudiesCultural Studies on Humanities Commons 4 months, 4 weeks ago

    प्रमोद रंजन द्वारा संपादित पुस्तक “महिषासुर एक जननायक” का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि आखिर महिषासुर नाम से शुरू किया गया यह आन्दोलन है क्या? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी? इसके निहितार्थ क्या हैं? इस पुस्तक में प्रश्न उठाया गया है कि जब असुर एक प्रजाति है तो उसकी हार या उसके नायक की ह्त्या का उत्सव किस सांस्कृतिक मनोवृत्ति का परिचायक है? इतिहास में बहुजन नायकों को पीछे कर दिया गया। बहुजन प्रतीकों को अपमानित किया जा रहा है। हमारे नायकों को छलपूर्वक अंगूठा और सिर काट लेने की प्रथा पर हम सवाल करना चाहते हैं। इन नायकों का अपमान हमारा अपमान है। विभिन्न स्रोतों के अध्ययन से यह स्पष्ट किया गया है कि एक देवी के रूप में दुर्गा वास्तव में मिथकीय चरित्र है¸ ब्राह्मणों की कल्पना मात्र है। जबकि महिषासुर एक वास्तविक चरित्र हैं, जो के प्रतापी, समतावादी जननायक था। – मो. आरिफ खान, युवा आलोचक व समीक्षक, मार्च 2017