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भगाणा की निर्भयाएं
- Editor(s):
- H.L Dusadh, Pramod Ranjan (see profile) , Jitendra Yadav
- Date:
- 2014
- Group(s):
- Cultural Studies, Gender Studies, Public Humanities, Religious Studies, Sociology
- Subject(s):
- Social justice, Caste, Caste-based discrimination, Rape victims, Dalits, Dalits--Social conditions, Hinduism and politics, Culture conflict, Rape, India--Haryana
- Item Type:
- Book
- Tag(s):
- Gender, Race and Class, politics and religion, Media and religion, bhgaana
- Permanent URL:
- https://doi.org/10.17613/8j22-an38
- Abstract:
- यह किताब बहुजन डाइवर्सिटी द्वारा 2007 से शुरू की गई भारत की ज्वलंत समस्याएं शृंखला की है। पुस्तक में समय समय पर उद्भव होने वाली कुछ ख़ास समस्याओं, जिनसे राष्ट्र का जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है एवं जिन्हें मीडिया के अल्पकालिक प्रभाव के चलते लोग एक अंतराल के बाद विस्मृत कर समस्याओं के अम्बार में घिरे देश की दूसरी समस्याओं में खो जाते हैं, को यदि पुस्तक के रूप में गंभीरता से परोसा जाए तो राष्ट्र उनकी अनदेखी नहीं कर पायेगा। 21वीं सदी में दुनिया की नजरों में भारत की छवि एक असभ्य व बर्बर राष्ट्र के रूप में अटूट है। लेकिन भगाणा दुष्कर्म काण्ड के बाद 'दलित उत्पीड़न के अनवरत सिलसिले' पर संगठन को एक और किताब लाने के लिए बाध्य होना पड़ा।
- Notes:
- यह सही है कि धर्म-शास्त्रों द्वारा निर्मित सोच हिन्दुओं को दलितों पर अत्याचार के लिए उकसाती है किंतु उनके दलितों पर हमलावर होने के लिए उनकी आर्थिक शक्ति ही इंधन जुटाती है। भगाणा में ही दलितों के उत्पीड़ित होने का मुख्य कारण यह है कि वे आर्थिक रूप से पूरी तरह जाटों पर निर्भर हैं। उनके पास न भूमि है न कोई आय का माध्यम। यदि वहां के दलित भी आर्थिक रूप से सक्षम होते, हरियाणा कतई बलात्कार प्रदेश नहीं बन पाता।
- Metadata:
- xml
- Published as:
- Book Show details
- Publisher:
- दुसाध प्रकाशन
- Pub. Date:
- 2014
- ISBN:
- 978-81-87618-46-1
- Status:
- Published
- Last Updated:
- 5 months ago
- License:
- Attribution
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