• बहुजन साहित्य: वर्तमान और भविष्य [Bahujan Literature: Present and Future]

    Author(s):
    Pramod Ranjan (see profile)
    Date:
    2022
    Group(s):
    Communication Studies, Literary Journalism, Literary theory
    Subject(s):
    Hindi literature, Dalits in literature, Criticism, Marginality, Social, in literature, Caste in literature, Literature and technology, Cultural policy, Posthumanism in literature, Progressivism in literature, Hindi literature--Dalit authors
    Item Type:
    Article
    Tag(s):
    bahujan literature, Dalitbahujan literature, caste discourse, Dalit literature, advasi
    Permanent URL:
    https://doi.org/10.17613/94j5-zs04
    Abstract:
    यह आलेख भारतीय साहित्य में उभर रही बहुजन अवधारणा को रेखांकित करता है। इस लेख में बताया गया है कि "बहुजन साहित्य का अर्थ है– अभिजन के विपरीत बहुजन का साहित्य और उनकी वैचारिकी। प्रगतिशील- मार्क्सवादी विचारधारा में जो ‘जन’ है, ‘बहुजन’ उसकी अगली कड़ी भी है। मार्क्सवाद के ‘जन’ का अर्थ भारत के सामाजिक-यथार्थ के संदर्भ में न सिर्फ अस्पष्ट और अनिश्‍चित बना रहता है, बल्कि वह हमारे सांस्कृतिक मंतव्यों को प्रकट नहीं करता। जब हम ‘जन’ में ‘बहु’ प्रत्यय जोड़ते हैं तो इससे बना शब्द हिंदुस्तानी परिप्रेक्ष्य में वैचारिक और दार्शनिक रूप से भी जीवंत बन उठता है। यह हमें भारत की श्रमणवादी धारा के दार्शनिकों, कौत्स, बुद्ध, मक्खली गोशाल, अजित केशकंबली आदि की वैज्ञानिक चेतना से जोड़ देता है और उनके दर्शन को समकालीन आवश्यकता के अनुरूप विकसित करने के लिए प्रेरित करता है। “बहुजन” में बहुलता का भाव है। नए भाषा संकेतों का सहारा लेकर कहें तो यह जन + (जन प्लस) भी है। जन+ के अर्थ में यह पिछले दो दशक से पश्चिम में चर्चित हो रही उत्तर-मानववाद जैसी धारणााओं को तार्किक दिशा देने में भी सक्षम है। थोड़ा वक्रोक्ति का प्रयोग करते हुए कहें तो “प्रगतिशील साहित्य में वंचित तबकों के दु:खों का चित्रण तो हुआ, लेकिन वह उन दाहक दु:खों के कारण के रूप में ब्राह्मणवाद को चिन्हित में सक्षम नहीं था। दलित साहित्य को दु:ख देने वाला भी दिखा, उसने उन दु:खों के कारणों को गहराई से रेखांकित किया। बहुजन साहित्य की अवधारणा से दु:ख भी दिखता है, दु:ख देने वाला भी दिखता है, और दुख से मुक्ति का उपाय भी दिखता है।”
    Notes:
    यह एक विस्तृत आलेख का आरंभिक ड्राफ्ट है।
    Metadata:
    Published as:
    Journal article    
    Status:
    Published
    Last Updated:
    11 months ago
    License:
    Attribution
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    Item Name: pdf bahujan-literature-present-and-future-by-pramod-ranjan.pdf
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