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पर्यावरणीय प्रभाव आकलन का मसौदा और सत्ता के निहितार्थ
- Author(s):
- Pramod Ranjan (see profile)
- Date:
- 2021
- Group(s):
- Anthropocene Studies, Environmental Humanities, Sociology, Sustainability
- Subject(s):
- Environmental policy, Environmental law, Climatic changes--Government policy, False arrest, Freedom of expression
- Item Type:
- Article
- Tag(s):
- Climatic changes, Climate activist, Fridays for Future, Environment Impact Assessment Notification 2020, Anthropocene Epoch, Stratigraphic--Anthropocene
- Permanent URL:
- https://doi.org/10.17613/h91z-wk85
- Abstract:
- भारतीय पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को 13 फरवरी, 2021 को पुलिस ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि उन्होंने पंजाब के भू-स्वामियों (किसानों) के आंदोलन को जन-समर्थन दिलाने के लिए स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा तैयार की गयी रूप-रेखा (टूल-किट) के निर्माण में भूमिका निभायी थी। भारतीय मीडिया ने दिशा रवि की गिरफ़्तारी को भी इसी परिप्रेक्ष्य में देखा था। मीडिया संस्थानों ने कहा कि दिशा रवि ने अभी भी भारतीय क़ानूनों के अनुसार कोई अपराध नहीं किया है तथा जिस कथित ‘टूल-किट’ की बात सरकार कर रही है, वह किसी आन्दोलन के प्रसार की एक रूप-रेखा होती है, जिसे आन्दोलनकारियों के द्वारा तैयार किया जाना और प्रसारित किया जाना स्वाभाविक है। इसलिए सरकार को ये दमनात्मक कार्रवाई बंद करनी चाहिए। मीडिया में कही गयी ये बातें एकदम सही हैं। लेकिन, क्या सरकार ने सचमुच इस मामले में सिर्फ़ अपनी मूर्खता और तानाशाही का प्रदर्शन किया है? क्या सरकारी अधिकारी सचमुच नहीं जानते कि किसी आंदोलन के लिए ‘टूल-किट’ के निर्माण या उसके प्रसार को भारतीय न्यायालयों में अपराध साबित नहीं किया जा सकता? दिशा रवि के अब तक के कामों की पृष्ठभूमि को देखने पर यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि उनकी गिरफ़्तारी के लिए किसान आंदोलन के ‘टूल किट’ को महज़ एक बहाना बनाया गया था। वस्तुत: उन्हें एक अन्य मामले में चुप करवाने के लिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था। यह मामला भारत सरकार की पर्यावरण संबंधी नियमावली में परिवर्तन की कोशिश के असफल हो जाने का है, जिसकी जिम्मेवार दिशा रवि रही हैं। कुछ न्यूज वेबपोर्टलों ने इससे संबंधित हालिया घटनाओं के पन्नों को पलटने की कोशिश की है, लेकिन उन्होंने इन दोनों के बीच के संबंध को समझने की कोशिश नहीं की है। इस लेख में बताया गया है कि कैसे पर्यावरण संबंधी नियमावली में परिवर्तन में बाधक बनने के कारण भारत के एक चर्चित न्यूज पोर्टल को भी उस समय निशाना बनाया था।
- Notes:
- यह लेख का एक ड्राफ्ट वेब पोर्टल जनज्वार पर प्रकाशित हुआ था, जिसे इस लिंक पर देखा जा सकता है : https://janjwar.com/governance/farmer-protest-nahi-environment-contract-hai-disha-ravi-kee-girftari-ka-real-reason-pramod-ranjan-comment-728428 इस लेख का अंग्रेजी अनुवाद फ्रंटियर वीकली में प्रकाशित हुआ था, जिसे इस लिंक पर देखा जा सकता है : https://www.frontierweekly.com/views/mar-21/3-3-21-Implications%20of%20the%20arrest%20of%20Indian%20environment%20activist.html
- Metadata:
- xml
- Published as:
- Journal article Show details
- Pub. Date:
- 18 Feb 2021
- Journal:
- Jan Jwar
- Status:
- Published
- Last Updated:
- 1 year ago
- License:
- Attribution
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Item Name: पर्यावरणीय-प्रभाव-आकलन-का-मसौदा-और-सत्ता-के-निहितार्थ_pramod-ranjan_assam-university.pdf
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